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बड़ी मां की सहेली की चुदाई

  बड़ी मां की सहेली की चुदाई 

मेरे दोस्त राजेंद्र ने अपनी कहानी मुझे लिख कर भेजी है… उसका अनुवाद करके मैं पाठकों के समक्ष रख रही हूँ।

बड़ी मां की कोई सहेली कुछ दिनों के लिए घर पर आई हुई थी। बड़ी मां की वो हम उम्र थी। कोई 32-33 साल की रही होगी। बड़ी मां और मेरे सम्बन्ध वैसे भी मधुर थे। जब भी बड़ी मां की इच्छा होती थी वो, ज्यादातर दिन को, बड़े पापा के जाने के बाद मुझसे चुदवा लेती थी। ये सिलसिला चार महीनों से चल रहा था।

एक दिन शाम को बड़ी मां मेरे पास आई और बोली- प्रतीक… मेरी सहेली रजनी बहुत ही गरम हो रही है… क्या उसे ठंडी कर सकते हो…?’ बड़ी मां ने बडे ही सेक्सी अन्दाज में पूछा।

‘पर बड़ी मां… वो अभी तैयार है क्या…?’ मुझे एकाएक विश्वास नहीं हुआ और फिर बड़ी मां तो स्वयं एक औरत थी, बजाये उससे मुझे दूर रखने के… मुझे न्योता दे रही थी… बड़ी मां को मेरी चिंता कैसे हो गई।

‘अरे नहीं… अभी नहीं! जब गरम हो तो करना… तुझे नया टेस्ट करने को मिल जायेगा…!’ बड़ी मां ने मुझे तरीका बताया।

‘आप मदद करें तो मामला बन सकता है…’ मैंने बड़ी मां से सहायता मांगी।

‘कल तुम्हारे बड़े पापा काम पर जायें तो ट्राई करते हैं…’

हम दोनों ने योजना बना ली। बड़ी मां ने बताया रजनी को चुदवाये हुये बहुत समय हो गया है अब वो बार बार ठुकाई की बातें करती है और उसके साथ लेस्बियन करना चाहती है। बड़ी मां चाहती है कि लेस्बियन से अच्छा तो ठुकाई है… इसलिये वो मुझसे पूछने आई थी। मैं बड़ी मां के इस प्रोपोजल से इतना खुश हो गया कि उनके स्तनों को मसल डाला। वो बस मुसकरा कर उई कह कर रह गई।

दूसरे दिन बड़े पापा के जाने के बाद बड़ी मां ने मोबाईल पर मिस काल दिया। ये हमारा इशारा था… मैं कमरे में था। मैंने फ़्रिज से कोल्ड ड्रिन्क निकाला और तीन गिलास बना कर बड़ी मां के कमरे में चला आया।

‘रजनी जी… ठन्डा लाया हूँ… बड़ी मां लीजिये…!’ मैंने बैरा स्टाईल में कहा।

मुझे लगा कि रजनी ने पहली बार मुझे गहराई से निहारा। शायद मेरे जिस्म का निरीक्षण कर रही थी। यानि मेरे बारे में कुछ बात हुई है। रजनी ढीला ढाला काले रंग का पजामा पहने हुई थी और उस पर सफ़ेद रंग का टॉप था। बड़ी मां भी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाऊज में थी… और मैंने भी अपना सफ़ेद पजामा पहना था।

बड़ी मां मेरे पास सोफ़े पर बैठ गई… और हम तीनों बातों में तल्लीन हो गये। बड़ी मां ने धीरे से अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और दबाने लगी। मैं भी उत्तर में हाथ दबाने लगा। मुझे मालूम था कि रजनी ये सब देख रही थी। अब बड़ी मां ने बातों बातों में हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और सहलाने लगी।

रजनी की अब बैचेनी बढ़ने लगी। वो बराबर हमारी हरकतें नोट कर रही थी। मेरा लन्ड धीरे धीरे खड़ा होने लगा। पजामे में से साफ़ उठा हुआ दिखने लगा था। जैसे ही बड़ी मां के हाथ ने लन्ड को स्पर्श किया। रजनी का हाथ कांप गया।

‘मैं अभी बाथरूम हो कर आती हूँ…’ उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। बड़ी मां ने मुझे आंख मारी। रजनी बाथ रूम में गई तो मैंने जानकर बड़ी मां को चिपका कर चूमने लगा। तब तक चूमता रहा जब तक कि रजनी ने बाथरूम से निकल कर हमें ये सब करते हुए देख नहीं लिया। फिर हम एकदम से अलग हो गये जैसे कि चोरी पकड़ी गई हो।

‘क्या मैं फिर से बाथरूम में जाऊँ?’ रजनी की बात सुनते ही बड़ी मां ने शरमाने का नाटक किया।

‘अरे क्या कह रही हो… ये तो ऐसे ही प्यार में इस तरह कर देता है…?’ बड़ी मां ने सफ़ाई देते हुये कहा।

‘तब तो एक बार मुझे भी ऐसा ही प्यार कर दे ना…!’ रजनी ने अपनी प्यास भी जता दी… बड़ी मां ने अपना मुँह छिपा लिया।

‘कैसा प्यार रजनी जी…’मैंने बेशर्मी से पूछा।

‘जैसा अभी किया था बड़ी मां को…!’

मैंने बड़ी मां को फिर से एक बार होंठों पर जम कर किस कर लिया, पर इस बार बड़ी मां के बोबे भी दबा डाले। बड़ी मां भी मुझसे चिपक पड़ी।

‘हाय! अब बस भी करो ना… सुमन तुम अब हटो ना… राजेंद्र अब मुझे करो ना…!’ रजनी ने सब खुल्लम खुल्ला देखा तो तड़प उठी। वो कब तब सहन करती। मैं खड़ा हो गया और रजनी का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। रजनी कटे पेड़ की तरह मेरे हाथों में झूल गई। मैंने सबसे पहले रजनी के बोबे दबा दिये। उसके मुख से सिसकी निकल पड़ी। फिर उसके होंठों से होंठ लगा दिये और एक भरपूर किस लिया। उसके नरम नरम होंठ फ़डक उठे। बड़ी मां ने इतनी देर में उसके ड़ों की गोलाईयाँ दबानी चालू कर दी।

”रजनी… मेरी सहेली… मजा आया ना… बडा शरमा रही थी ना राजेंद्र से… अब क्या हुआ…!’

‘हटो… तुम्हारी बेशर्मी ने तो मेरी हिम्मत खोल दी… मुझे क्या पता था कि राजेंद्र तुम्हें इतना प्यार करता है कि तुम्हारे बोबे तक दबा देता है…!’ रजनी शरारत से बोली।

‘सुनो… मेरी जान… वो तो मुझे चोदता भी है… कल तुम्हारी हालत देख कर मैंने सोचा राजेंद्र से तुम्हारी दोस्ती करवा ही दूं, तुम्हारी योनि की प्यास भी बुझ जायेगी।’

मैंने रजनी के शरीर को सहलाना और दबाना चालू कर दिया। वो मेरी बाहों में मछली की तरह तड़प उठी। किसी औरत में मैंने इतनी प्यास नहीं देखी थी। वो बडी बेशर्मी से अपना सफ़ेद टोप उठा कर अपने बोबे दबवा रही थी ।

‘राजेंद्र… सम्हालो अपनी नई गर्ल फ़्रेन्ड को… अपने लन्ड का अब कमाल दिखा दो…’

बड़ी मां मेरा लन्ड पकड़ती उसके पहले ही रजनी ने उस पर कब्जा कर लिया। बडी अदा से मेरी तरफ़ देखा और मेरा पजामा नीचे खींच दिया और मेरा लम्बा लन्ड उसने पकड़ कर हिलाया और फिर हम सभी में कपड़े उतारने की जैसे होड़ लग गई। कुछ ही क्षणों हम तीनो नंगे हो चुके थे। मेरा लन्ड तन्ना कर फ़ुफ़कार उठा था। मैं कुछ करता उसके पहले रजनी ने मेरा लौड़ा पकड कर अपने मुख में डाल लिया और लॉलीपोप की तरह सुपाड़े को खींच खींच कर चूसने लगी। ये स्टाईल मुझे बहुत अच्छी लगी… लन्ड में तीखी उत्तेजना लगने लगी। बड़ी मां मेरे पीछे से चूतड़ों को मसल रही थी।

अब दोनों ने मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया। और बड़ी मां मेरे मुख से सट कर बैठ गई और अपनी योनि की फ़ांके खोल कर मेरे होंटो से चिपका दी… और रजनी ने मेरे खड़े लन्ड का फ़ायदा उठाते हुये अपनी योनि का मुँह खोल कर सुपाड़े को उस पर टिका दिया। इधर बड़ी मां की योनि में मेरी जीभ गई और उधर रजनी ने अपनी योनि में मेरा लन्ड घुसा लिया। दोनों के मुख से सिसकारियाँ निकल पड़ी।

‘हाय… लन्ड गया रे अन्दर्… स्स्स्स्सीऽऽऽऽऽ…’ रजनी सिसक उठी… बड़ी मां ने भी ऐसी ही सिसकारी भरी और मेरे मुख पर चुदाने जैसा धक्का मार दिया।

रजनी की योनि मेरे लन्ड को लपेट रही थी… योनि का घर्षण लन्ड पर बड़ा ही सुहाना लग रहा था। उसके धक्के बढ़ते ही जा रहे थे।

उसने बड़ी मां के बोबे भींच कर कहा- बड़ी मां… प्लीज़… हट जाओ ना… मुझे चुदने दो अभी…!’

बड़ी मां ने पीछे मुड़ कर प्यार से रजनी को देखा और मेरे मुख पर योनि का हल्का झटका मार कर कहा- प्रतीक… अब आप रजनी की चोदो और मेरी छोड़ो…!’

बड़ी मां ने अपना पांव घुमा कर मेरे चेहरे पर से हटा लिया और बिस्तर पर से नीचे आ गई। अब रजनी ने मुझे बडी कातिल निगाहों से देखा और लन्ड को अपनी योनि में दबा लिया और मेरे ऊपर पसर गई। मैंने उसके बोबे अपने हाथो में भर लिये। उसने मेरे शरीर को अपने बाहों में लपेट कर कस लिया और मेरे होंठो को अपने होंठो से दबा लिया।

अब उसके योनिड़ बड़ी तेजी से नीचे लन्ड पर चल रहे थे। उसकी कमर का बल खा कर धक्के देना बड़ा सुहा रहा था। अपने होंठ वो बुरी तरह से रगड़ रही थी। हम दोनों के धक्के तेज होने लगे थे… नशे में आखें बन्द होने लगी थी… स्वर्ग सा आनन्द आने लगा था। दोनों ओर से से चूतड़ उछल रहे थे… बराबरी से जवाब मिल रहा था इसलिये आनन्द भी खूब आ रहा था।

अचानक उसके मुख एक चीख सी निकली। जिसे मैं बिल्कुल नहीं समझ पाया।

‘हाय रे… राजेंद्र ये क्या… हाय…’

‘क्या हुआ रजनी रानी…?’

‘हाय… मेरी गान्ड फ़ट गई रे…!’ और अति उत्तेजना से रजनी झडने लगी।

‘आऽऽऽह…’ फिर एक चीख और…

तभी मेरी नजर बड़ी मां पर गई… उनके हाथ में डिल्डो था… मैं समझ गया कि बड़ी मां ने रजनी की गान्ड में डिल्डो फंसा दिया था। और रजनी उत्तेजना से झड़ गई थी। उसकी योनि लप लप कर रही थी और मेरे लन्ड को लपेट कर झड रही थी। मेरा लन्ड अब पानी भरी योनि में चल रहा था… योनि ढीली पड चुकी थी अब मजा नहीं आ रहा था। रजनी साइड में लुढ़क पड़ी।

अब बड़ी मां का नम्बर था। बिस्तर छोटा था इसलिये मैंने बड़ी मां को घोड़ी बना दिया।

‘बड़ी मां आज नये छेद का श्री गणेश करें…?’

बड़ी मां ने क्रीम की तरफ़ इशारा किया। मैंने बड़ी मां की गान्ड थपथपाई और क्रीम निकाल कर गान्ड के छेद में उंगली घुसाते हुये सब तरफ़ लगा दी। अब तक रजनी बिस्तर पर से उठ चुकी थी। मेरा कठोर लन्ड अब बड़ी मां की गान्ड के छेद पर टकरा रहा था। रजनी मुस्करा उठी- सुमन… तो आज पिछाड़ी का नम्बर है…!’

‘रजनी… प्लीज़ बड़ी प्यासी है अगाड़ी भी… जरा मदद कर दे… डिल्डो से मेरी अगाड़ी चोद दे…’ बड़ी मां ने रजनी से विनती की।

मैंने अपने लन्ड का जोर लगाया… मेरा सुपाडा फ़क से गान्ड के छेद में उतर गया। बड़ी मां चिहुंक उठी। फिर एक हाय और निकल पड़ी… ये डिल्डो था जो रजनी ने उसकी योनि में घुसा दिया था। मेरा लन्ड उसकी गान्ड की दीवारों को चीरता हुआ अन्दर तक उतरता जा रहा था। ये क्रीम का असर था जिससे ना मुझे लगी और ना ही बड़ी मां को दर्द हुआ। बड़ी मां ने अपनी दोनों टांगें पूरी फ़ैला दी और बिस्तर पर अपनी दोनों हथेलियाँ टिका दी। रजनी जमीन पर नीचे बैठ गई और इत्मिनान से उसकी योनि डिल्डो से चोदने लगी। मुझे भी गान्ड चोदते समय उसके डिल्डो का अह्सास हो रहा था। पर मुझे गान्ड के अन्दर लन्ड पर घर्षण से बहुत ही तेज मजा आ रहा था। बड़ी मां भी डबल मजा ले रही थी… रजनी भी डिल्डो घुमा घुमा कर चोद रही थी।

बड़ी मां की सिसकारियाँ भी बढ़ती जा रही थी।’दे… यार… दे… चोद दे… हाय मेरी गान्ड… साली को चीर दे… हाऽऽऽय रे राजेंद्रऽऽऽ…’ बड़ी मां दोनों पांव फ़ैलाये मस्ती से अपनी अगाड़ी और पिछाड़ी चुदवा रही थी। रजनी के बाद बड़ी मां की गान्ड चोदते चोदते अब मैं भी चरमसीमा पर आ चुका था… और ऊपर से बड़ी मां की टाईट गान्ड… हाय्… कैसे टाईम बढ़ाऊँ… मेरे शरीर की कसक बढ़ती जा रही थी… वासना से निहाल हुआ जा रहा था। लन्ड कड़क रहा था… धार सी छूटने का अह्सास होने लगा था। बस… धक्के मारते मारते और वीर्य रोकते रोकते भी रिसने लगा… और अचानक ही लन्ड बाहर निकालते ही उसकी गान्ड की गोलाईयों पर तेज धार निकल पडी… बड़ी मां की गान्ड तर हो उठी… मेरी पिचकारी तेजी सी निकल रही थी…

बड़ी मां ने भी आखिर दम तोड़ ही दिया… और सिमट पड़ी… उसका पानी निकल पड़ा… और बड़ी मां झड़ने लगी। रजनी ने डिल्डो निकाल लिया और पास पड़े तौलिए से उसकी योनि और गान्ड रगड़ दी। मेरे लन्ड ने पूरा वीर्य छोड़ दिया था। बड़ी मां अब सीधे खड़ी हो गई थी। रजनी बड़ी मां की मदद कर रही थी… ठीक से सारा पौन्छ लिया।

‘बड़ी मां मजा आया ना… और रजनी जी… आपकी योनि तो बड़ी चिकनी मस्त निकली…!’मैंने रजनी को अपनी बाहों में भरते हुए कहा।

‘बड़ी मां को तो प्रतीक मिल गये… जब चाहा फ़ुडवा लिया… मुझे कौन फ़ोडेगा…!’

बड़ी मां ने हंसने लगी और बोली…’हाँ रजनी जी… अब फ़ुडवाना हो तो अपनी योनि यहाँ लेकर आ जाईये… यहाँ सब कुछ… फ़्री में फ़ोडा जाता है… अगाड़ी… पिछाड़ी… और तीसरा मुख भी!’

रजनी बड़ी मां की भाषा पर शरमा गई।

‘चलो… आज इस खुशी में हम लन्च बाहर होटल में करेंगे…’ रजनी ने सभी को न्योता दिया। सभी तैयार होने लगे… ।


मैं रजनी और बड़ी मां को सादगी भरे कपड़ों में देख कर हैरान रह गया… कौन कह सकता था कि यही दोनों कुछ समय पहले उछल उछल कर चुदवा रही थी और गान्ड मरवा रही थी।

मैंने कार स्टार्ट की और होटल की ओर रवाना हो गये।

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