मौसी को घोड़ीबानकर चुदाई
मेरे एक रिश्ते के मौसा, जो काफ़ी दिनों तक हमारे घर पर रहे थे, की शादी में मैं सपरिवार शामिल हुआ लेकिन मैं अपनी मौसी को देख नहीं पाया। मेरे पेपर थे, इसलिए मैं उसी रात को अकेला वापिस आ गया। लेकिन पेपर खत्म होने के बाद एक महीने की छुट्टी में मैं अपने उस मौसा के घर गया तो मैंने पहली बार मौसी को देखा तो देखता ही रह गया। मौसी की लम्बाई करीब साढे पांच फ़ीट होगी और उनका रंग मानो दूध। मौसी के बाल तो उनके चूतड़ से भी नीचे थे। उमर भी बीस-इक्कीस से ज्यादा नहीं लगती थी।
उनको मैं देखता ही रहा और कुछ बोल नहीं पाया। फ़िर मौसी बोली – आपका नाम निलेश है ना ! मैं चौंक गया, इतनी सुन्दर आवाज?
मैंने उनसे कहा- मौसी जी नमस्ते ! हां मौसी मेरा नाम निलेश ही है।
मौसी काफ़ी खिली खिली सी लग रही थी। शायद यह नई नई शादी का असर था।
मौसा मुम्बई में सर्विस करते थे और उनकी शादी के कारण काफ़ी छुट्टियां हो गई थी, इसलिए उन्हें मुम्बई जाना था। उनका ट्रेन का रिजर्वेशन आज का ही था इसलिए मौसी कुछ उदास सी हो गई। लेकिन भैया को तो आज ही जाना था सो चले गए।
तो मैं रात को मौसी के पास ही सो जाता था, शायद मौसी को भी कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि मेरी उमर कम ही थी। मौसी और मैं काफ़ी घुलमिल गए थे। वो मेरे सामने ब्लाउज़ पेटिकोट में ही आ जाती थी और मेरे सामने ही साड़ी पहन लेती थी। इस हालत में मौसी को देख कर मेरे लण्ड में बहुत उत्तेजना होती थी और मैं चाहता था कि किसी तरह से उनकी चूची दबाउं और योनि देखूं। मैं अपनी उत्तेजना हस्तमैथुन करके ही शान्त करता था। बस इसी तरह मेरी एक महीने की छुट्टियां समाप्त हो गई और मैं अपने घर आ गया।
इस प्रकार चार साल चलता रहा लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो पाई कि मैं कुछ कर सकूं। इस बीच उनके कोई बच्चा भी नहीं हुआ। अबकी बार जब मैं उनके घर गया तो मैंने मौसी से पूछा कि शादी को काफ़ी दिन हो गए हैं, खुशखबरी कब सुनाओगी?
तो उन्होंने कहा कि अभी मैंने ही आपके भैया से मना कर दिया है। कुछ दिनों बाद बच्चे के बारे में सोचेंगे। उस रात मैं उनके साथ ही बेड पर सो गया। मौसी भी ब्लाउज़ पेटिकोट में ही मेरे पास लेट गई और सो गई। मैंने थोड़ी हिम्मत की और अपना हाथ उनकी चूची पर रख दिया। मौसी की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैंने धीरे धीरे चूची को दबाना शुरू कर दिया। इससे आगे मेरी हिम्मत नहीं हुई और मैं उठ कर गया, हस्तमैथुन करके वापिस मौसी के पास लेट गया।
अगली रात को भी बस ऐसे ही हुआ। आज मैंने मौसी की चूची को थोड़ा जोर से दबाना शुरू किया। फ़िर ब्लाउज़ के ऊपर से ही उनकी चूची को अपने मुंह से चूमने लगा। मेरा उत्साह बढता ही जा रहा था। मैंने हिम्मत करके ब्लाउज़ के ऊपर के दो हुक खोल दिए। इससे मौसी की गोरी गोरी चूचियों का ऊपरी हिस्सा दिखने लगा जिसे मैं काफ़ी देर तक देखता ही रहा। फ़िर मैंने अपने होठों से उनकी चूचियों कि नंगे हिस्से पर किस किया और हाथ से दबाया। फ़िर मैंने उनके लाल लाल होठों को जीभ से चाटा। थोड़ी देर में मेरा वीर्य निकर में ही निकल गया। अपने आप वीर्य निकलने का यह मेरा पहला अनुभव था।
मुझे कब नींद आ गई मुझे पता ही नहीं चला। जब मैं सुबह जागा तो मुझे याद आया कि मैंने ब्लाउज़ के हुक तो बंद ही नहीं किए थे। मुझे बहुत डर लगा। हिम्मत करके मैं नहाने चला गया। नाश्ते के समय मौसी और मैं आमने सामने बैठ गए।
मैंने मौसी से पानी मांगा तो उन्होंने झूठे गिलास में पानी दे दिया। मैंने मज़ाक में कहा- मैं किसी का झूठा नहीं खाता।
तो मौसी ने फ़ौरन जवाब दिया कि मुंह से मुंह तो लगा लेते हो, लेकिन झूठा नहीं खाते। इस बात को सुनकर मैं हक्का-बक्का रह गया। नाश्ता खत्म करके मैं बाहर चला गया और रात को ही घर आया।
रात को मैं मौसी से अलग लेट गया तो मौसी ने कहा- निलेश ! क्या हुआ, आज मेरे पास नहीं लेटोगे?
मैंने कहा- आज मैं अलग ही सोऊंगा।
इस पर मौसी बोली- हां ! अब तुम काफ़ी बड़े हो गए हो और अपना निकर भी गंदा करते हो।
यह कह कर मौसी अलग ही लेट गई। लेकिन मेरे मन में तो मौसी की चूची और योनि के ही ख्याल आ रहे थे।
इतने में मौसी ने कहा- चलो, बहुत देर हो गई। अब आ ही जाओ मेरे पास। इतना सुनते ही मैं मौसी के पास आ गया। लेकिन आज मौसी काले रंग की साड़ी पहने थी और बहुत सुन्दर लग रही थी।
मैंने कहा- मौसी ! आज आपने साड़ी क्यों पहन रखी है, सोने का विचार नहीं है क्या।
मौसी बोली- तुम मुझे रात को सोने ही कहां देते हो। रात में मैं काफ़ी परेशान हो जाती हूं।
मैंने कहा- क्यों?
उन्होंने कहा- रात को तुम जो परेशान करते हो।
इतना सुनते ही मैं मौसी के और पास गया और कहा- मौसी आज मैं आपको परेशान नहीं करुंगा, लेकिन मौसी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, और मैं मौसी के पास ही उनके एक हाथ पर सिर रख के लेट गया। मौसी मेरी तरफ़ अपना मुंह करके लेट गई। फ़िर मैंने अपना एक हाथ मौसी के पेट पर रख दिया और मौसी ने अपनी आंखें बंद कर ली। अमिं समझ गया कि चार साल की मेहनत आज रंग लाई है।
फ़िर मैंने मौसी के योनिड़ों पर हाथ घुमाना शुरू कर दिया। मौसी मुझ से चिपट गई। अब क्या था, मैंने देर ना करते ह्ये उनको किस किया। वो कुछ बोली नहीं। मैंने उनकी साड़ी को अलग कर दिया तो मौसी ब्लाउज़ और पेटिकोट में रह गई। आज मानो मेरी सारी मुरादें पूरी हो गईं। मैं इस कदर उत्तेजित था कि मैंने मौसी के मुंह के अन्दर अपनी जीभ दे दी जिसे मौसी काफ़ी आनन्द के साथ चूस रही थी। मैं पागल हुए जा रहा था, मैंने उनका ब्लाउज़ पेटिकोट भी अलग कर दिया।
मौसी के पूरे शरीर को चूमना शुरू किया तो वो तड़फ़ने लगी। शायद वो काफ़ी दिनों बाद यह सब कर रही थी। मैंने मौसी के पैरों को फ़ैला दिया और बीच में आकर मैंने उनकी योनि पर अपना लण्ड लगा दिया।
मौसी ने अपने योनिड़ उठा कर मेरा लण्ड अपनी योनि में ले लिया। उनकी योनि से पानी सा आ रहा था जिससे मेरे लण्ड को उनकी योनि में जाने में कोई परेशानी नहीं हुई और मैं उनकी योनि में जोर जोर से धक्का देने लगा। मौसी भी पूरे जोश से अपने योनिड़ों को उठा उठा कर मज़े लेने लगी।
काफ़ी देर बाद मौसी और मैं एक साथ चरम सीमा तक पहुंच गए। मुझे इस पल जैसा आनन्द कभी नहीं मिला था। उस रात मैंने मौसी को चार बार चोदा और हम कब सो गए, पता ही नहीं चला।
सुबह आंख खुली तो हम दोनो नंगे ही लेटे हुए थे। मैंने मौसी की चूची को चाटना शुरू किया तो वो भी जाग गई और फ़िर मैं और मौसी रात की ही तरह एक दूसरे को चूमने लगे। फ़िर मैंने मौसी को घोड़ी बना कर उनकी ली। लेकिन मौसी ने कहा – निलेश तुमने अपना वीर्य मेरी योनि में डाल दिया है और मुझे पीरियड्स भी अभी पांच दिन पहले ही हुए हैं।
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा।
उसके बाद मैं और मौसी रोज तीन चार बार सम्भोग करते रहे। आज मौसी के पास एक लड़का है जो मेरे सांवले रंग पर ही है। तब से आज तक जब भी हमें मौका मिलता तो ठुकाई करते। लेकिन अब मौसी भैया के साथ मुम्बई में ही हैं। मैं दो बार ही वहां गया, भैया जब भी आफ़िस जाते तो मैं मौसी के साथ ठुकाई करता।