छोटी बहन रोशनी को जंगल में चोदा
नमस्ते दोस्तो, मैं नवीन यूपी के नोएडा का रहने वाला हूँ। हमारा छोटा सा परिवार है जिसमे मैं मेरे माता पिता एक छोटा भाई और बहन जिसका नाम रोशनी हैं। करीब साल भर पहले रोशनी की शादी पास ही के गाँव में हुई है।
ये बात करीब दस महीने पहले की है, तब हमारे दादाजी जीवित थे। वे हमारे घर पर ही रहते थे। उन दिनों दादाजी काफी बीमार रहने लगे। वे बार बार रोशनी को उसकी ससुराल से लाने की बात कहने लगे। चूंकि रोशनी घर में इकलौती लड़की होने के कारण सबकी लाड़ली थी। इसलिए दादा जी को उसकी ज्यादा याद आ रही थी।
मम्मी ने मुझे रोशनी को लाने उसके ससुराल भेजा, ताकि वो कुछ दिन दादाजी के साथ रह ले।
रोशनी के ससुराल जाने के लिए जंगल में से सड़क भी है और एक छोटा रास्ता पगडंडी से भी गुजरता है।
मैं बस से अपने रोशनी के ससुराल गया, तो वहां मेरे जीजा भी उसी दिन अपनी सर्विस से छुट्टी पर आये हुए थे। उन्होंने मेरी आवभगत की और बातचीत करते हुए मैंने अपने आने का कारण बताया।
जीजाजी एकदम से तनाव में आ गए, पर बात दादाजी की तबियत की थी, तो कुछ कहना भी संभव नहीं था।
उनकी माताजी ने बात संभालते हुए कहा- बेटा तू आज ही आया है, आज तू भी यहां रुक जा, अपने जीजा से बातें कर ले, सुबह जल्दी निकल जाना।
मैं भी उनकी स्थिति समझ कर मान गया। जीजा जी कभी कभी ही घर आ पाते थे और रोशनी के साथ ठुकाई का मजा ले कर चले जाते थे।
मेरे ये कहने पर कि मैं रोशनी को आज ही ले जाने आया हूँ, जीजा जी का मूड ऑफ़ हो गया था। पर गनीमत थी कि रोशनी की सासू माँ ने बात सम्भाल ली थी।
रात को खा पीकर थोड़ी देर बातें करके लगभग 8।30 पर सब सोने चले गए। मैं भी रोशनी के देवर के रूम में सो गया।
अभी 9।00 ही बजे थे कि घर से कॉल आया कि पापा को अर्जेंट में आफिस के काम से जाना पड़ रहा है और छोटा भाई भी घर पर नहीं है। तो मुझे अभी रात में ही निकलना पड़ेगा।
सारी बात मैंने आँटी को बताई तो आँटी ने कहा- अपनी रोशनी को जगा कर साथ ही ले जा और जीजा की बाइक से चला जा।
मैंने रोशनी के कमरे को नॉक किया, तो रोशनी थोड़ी अस्त व्यस्त हालत में बाहर आईं। मैं समझ गया कि अन्दर क्या हो रहा था। रोशनी के ब्लाउज के बटन पूरे न लगे होने के कारण उनका एक निप्पल मुझे दिख गया। जिससे मेरा मूड बन गया।
खैर मैंने रोशनी के निप्पल को देखते हुए उसको सब बताया और उससे अभी के अभी चलने को कहा।
वो मुझे रुकने का कह कर अन्दर चली गई। मैं दरवाजे से झांकने लगा, मैंने देखा कि रोशनी अपनी पेंटी पहन रही थी और जीजाजी कुछ नाराज लग रहे थे।
मैं पूरा माजरा समझ गया और यह देख कर थोड़ा गर्म भी हो गया।
कोई दस मिनट में हम दोनों वहां से निकल गए। मैंने जानबूझ कर बाइक जंगल के रास्ते से ली और थोड़ा दूर जाकर बाइक बन्द कर दी।
रोशनी बोली- क्या हुआ?
मैंने कहा- शायद पेट्रोल खत्म हो गया है।
रोशनी बोली- अब क्या होगा?
तो मैंने कहा कि बाइक खींच कर पैदल ही चलना पड़ेगा।हम दोनों चल दिए।
कुछ दूर ही चले होंगे कि मैं जानबूझ कर हांफने लगा और प्यास से बेहाल होने का नाटक करने लगा।
रोशनी बोली कि यहीं कहीं आराम कर लेते हैं।
मैंने कहा कि रोशनी जंगल में रुकना खतरनाक हो सकता है, आगे कोई सुरक्षित जगह देखते हैं।
थोड़ा आगे चलकर हमें एक झोपड़ी दिखी, तो हमने वहीं रुकने का विचार बनाया। पर मुझे तो कुछ और ही चाहिए था, मैंने फिर से प्यास का बहाना बनाया और रोशनी को कहीं से पानी ढूंढ लाने को कहा।
रोशनी मोबाइल की रोशनी में पानी ढूंढने लगी, पर सुनसान जगह पर पानी कहां मिलता। रोशनी परेशान हो गई।
मैंने रोशनी से कहा- प्यास से हालत खराब हो रही है, मुझे गला तर करना है।
रोशनी बोली- पानी तो नहीं है, फिर कैसे।
मैं बोला- एक आइडिया है आप थोड़ा मूत दो, तो मैं वही पी लूँगा और कुछ तो आराम मिलेगा।
रोशनी- पर यह कैसे, मुझे शर्म आएगी।
मैं- यहां मैं और तुम ही तो हो, इसमें शर्म किससे । … मैं तो तुम्हारा भाई हूँ।
तो रोशनी ने हां कह दिया।
मैं तो इसी की ताक में था। मैंने अपनी शर्ट और बनियान को खोल कर एक तरफ रख दिया।
रोशनी- यह क्यों खोले?
मैं- क्योंकि यह भीग गए, तो घर पर क्या कहेंगे।
रोशनी मान गयी, मैं जमीन पर सीधा लेट गया।
जैसे ही रोशनी अपनी पेंटी उतार कर मेरे सामने आई, मैं तो पागल ही हो गया। क्या योनि थी। एकदम साफ, शायद जीजाजी के लिए ही साफ़ करके रखी थी।
जैसे ही रोशनी ने मूतना चालू किया, मैंने मुँह खोल कर पूरा मूत पी लिया। मैंने मूत पीते समय रोशनी की योनि को भी चाट लिया था। इससे रोशनी भी गर्म हो गयी थी। वैसे भी वो अपनी ठुकाई अधूरी छोड़कर ही आयी थी।
मूत पूरा होते ही मैंने अपना मुँह रोशनी की योनि पर लगा दिया। रोशनी इसके लिए तैयार तो नहीं थी, पर उसे यह अच्छा ही लगा और वो आह भर कर रह गयी।
अब मैं उसकी योनि से खेल रहा था और वो मेरे बालों से।
कुछ ही देर में हम दोनों पूरे मूड में आ गए थे। मैंने रोशनी से कहा- क्या आपको प्यास नहीं बुझानी?
रोशनी मेरा इशारा समझ गयी। उसने मेरी पेंट की जिप खोली और मेरा लंड बाहर खींच लिया। एक ही झटके में मेरा 7 इंच लंबा और 3 इंच छोड़ा लंड फुंफकारता हुआ बाहर निकल आया और अगले ही पल मेरी रोशनी के मुँह में था।
रोशनी पूरे मन से मेरा लंड चूस रही थी, पर मैं कुछ कर नहीं पा रहा था।
मैंने रोशनी को खड़ा किया और उसके कपड़ों की ओर देख कर कहा- अब तो यह सब हटा दो।
रोशनी बोली- अपने ही हाथों से हटा दो ना भईया।
मैंने रोशनी की साड़ी और सब कपड़े जल्दी से खोल दिए।
फिर रोशनी से मेरी पेंट की तरफ इशारा किया, तो रोशनी ने झट से मेरी पेंट और अंडरवियर निकाल फेंका। उसने फिर से मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और मस्त चूसने लगी। मेरा एक हाथ उसके मम्मों और पीठ को नाप रहा था। वैसे तो रोशनी कोई ज्यादा आकर्षक नहीं थी, पर जब योनि का भूत सवार होता है, तो सब आकर्षक ही लगता है।
रोशनी के चूसने से लंड जल्दी ही झड़ गया और रोशनी मेरा पूरा माल चट कर गयी। जैसे मैं उसका मूत पी गया।
फिर रोशनी बोली- अब मेरी आग कैसे शांत होगी, जो तेरे जीजा ने लगाई थी।
मैंने कहा- मुझे पता है इसीलिए तो मैंने गाड़ी बंद की और यह प्रोग्राम बनाया।
सुन कर रोशनी अचंभित हो गयी और मुझे प्यार से मुक्के मारने लगी।
रोशनी- साले इतना कमीना है तू । … और मैं तुझ बहनचोद को सीधा समझ रही थी।
मैं- आप मुझे बहनचोद क्यों कह रही हैं । … मैंने कब अपनी बहन चोदी।
रोशनी- तो अब चोद दे अपनी बहन को और बन जा बहनचोद।
उसने कामुक होते हुए एक बार फिर अपने मुँह में मेरा लंड ले लिया और करीब पांच मिनट तक चूस कर फिर से कड़क कर दिया।
रोशनी- अब नहीं रहा जाता भइया … जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो, नहीं तो मैं तड़फ कर मर जाऊँगी।
मैं- नहीं रोशनी, तेरे भाई के होते हुए तू प्यासी मर जाए … यह कभी नहीं हो सकता।
मैंने अपनी रोशनी को नीचे लिटा कर उसकी टांगें अपने कंधे पर रखीं और उसकी योनि पर अपना लंड सैट करके जोर से लंड पेलने की कोशिश करने लगा। मेरा यह पहला अनुभव था। उधर रोशनी भी कई दिनों की प्यासी थी। उसकी योनि पहले से ही गीली हो चुकी थी। उसने अपने हाथ से मेरे लंड को चुत के छेद का रास्ता दिखाया और मुझे आँख मार दी। मैंने भी लंड को धक्का मारा, तो मेरा लंड रोशनी की योनि में घुसता चला गया।
रोशनी की आह निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मार दिया … भैनचोद … धीरे पेल साले तेरा लंड तेरे जीजा से बहुत बड़ा है।
मुझे यह सुनकर मजा आ गया। एक दो धक्के में ही मेरा पूरा लंड रोशनी की चुत में खो गया था। मैंने लम्बे लम्बे झटके देने शुरू कर दिए। रोशनी ने भी अपनी गांड उछाल कर लंड निगलना शुरू कर दिया।
हम दोनों जल्दी ही एक लय में आ गए थे। मैं रोशनी की चुत में लंड पेलता, तो रोशनी मेरी छाती से चिपक कर अपनी चूचियों का सुख मुझे देने लगती। और जब मैं लंड बाहर खींचता, तो रोशनी भी अपनी गांड को दबा कर झटके के लिए तैयार कर लेती।
धकापेल ठुकाई होने लगी। रोशनी मुझे दूध चूसते हुए ठुकाई की कहने लगी। मैंने रोशनी की चूचियों को अपने हाथों से दबोच लिया और आटा जैसे गूँथते हुए रोशनी की ठुकाई का तूफ़ान चला दिया।
फिर तो वह घमासान मचा कि 20 मिनट की ठुकाई के बाद ही शांत हो पाया।
अब तक मेरे घर से और रोशनी की ससुराल से करीब 20 मिस कॉल आ चुके थे।
हम दोनों भाई रोशनी की ठुकाई का तूफान थमा, तो हम दोनों को सब याद आया। मैंने समय देखा, तो रात के दो बज रहे थे। जल्दी से घर में फोन लगाया और गाड़ी की लाइट खराब होने का बोलकर देर होने की वजह बताई। अपनी कुशलता के समाचार भी दे दिए।
इसके बाद हम दोनों ने जल्दी से अपने अपने कपड़े पहने, एक दूसरे को चूमा और घर की तरफ निकल लिए।
गांव के पास पहुंच कर मैंने गाड़ी की लाइट बन्द की और धीमी स्पीड में घर पहुंच कर गाड़ी खड़ी की।
घर वाले टेंशन के मारे इंतजार कर रहे थे। कुछ देर बाद उन सबको बहाने से सुला कर हम भाई बहन भी सो गए। उसके बाद जब भी रोशनी का या मेरा मूड होता, तो मैं रोशनी से मिलने उसकी ससुराल पहुंच जाता और अपनी रोशनी को जम कर चोदता। उसे भी जीजा जी के कभी कभी मिलने वाले लंड से मेरा मोटा लम्बा लंड ज्यादा पसंद आ गया था।
दोस्तो, मेरी अन्तर्वासना पर यह पहली कहानी है, लिखने में कोई गलती हुई हो तो क्षमा करना।
अपने मेल मुझे जरूर लिखिएगा।